Pujya Swami Gyan Swarup Sanand ended his fast in Delhi. See updates here. |
स्वयं की आहुति की ओर बढ़ रहे स्वामी ज्ञान स्वरुप सानंद जी |
गंगा के लिए चल रहा भगीरथ तप - गंगासागर से संकल्प लेकर मेला पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंदजी का उदघोष इलाहाबाद | Sunday, January 15, 2012 । |
Swaami-Shreeh Avimukteshwaraanandah Saraswatee |
गंगा नदी की आन, बान, शान के लिए संत हर कीमत देने को संकल्पित हैं। गंगा को प्रदूषण मुक्त एवं राष्ट्र नदी का वास्तविक सम्मान दिलाने को गंगा सेवा अभियान की ओर से रविवार को भगीरथ तप शुरू होगा। अभियानम के सार्वभौम संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की अगुवाई में अभियान के प्रधान स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद द्वारा तप आरंभ होगा।
शनिवार को गंगा सागर से तपस्या का संकल्प लेकर माघ मेला क्षेत्र के त्रिवेणी मार्ग स्थित ज्योतिष, द्वारिका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य के शिविर पहुंचे स्वामी जी ने कहा कि राष्ट्रीय नदी का दर्जा मिलने और अरबों रुपये के खर्च के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा मां गंगा को राष्ट्र नदी का वास्तविक सम्मान नहीं दिया गया। गंगा प्राधिकरण के दोषपूर्ण एवं लचर गठन से पिछले तीन साल से गंगा प्रदूषण पर कोई कार्य नहीं हुआ। बताया, शंकराचार्य शिविर से संतों की तपस्या के साथ जन सामान्य को जोड़ने की मुहिम भी तेज होगी। प्रयाग महाकुंभ निर्मल गंगाजल में ही होगा।
गंगा के लिए आमरण अनशन का संकल्प ले चुके स्वामी सांनद (जीडी अग्रवाल) ने कहा गोमुख से गंगासागर तक निर्मल-अविरल गंगा के लिए संकल्पित गंगा सेवा अभियानम की ओर से मां गंगा का अपमान अब और सहन नहीं किया जाएगा। जल बिरादरी के राजेंद्र सिंह, कृष्णप्रियानंद, गंगा प्रेमी मिश्र ने उनके साथ तपस्या का संकल्प लिया है।
गंगा सेवा तपस्या :: 20 दिन बीत रहे ::
स्वयं की आहुति की ओर बढ़ रहे स्वामी ज्ञान स्वरुप सानंद जी
इलाहाबाद | Wednesday, February 3, 2012 |
Swami Gyan Swarup Sanand at indefinite sit hunger at Prayag (Allahabad) for the cause to Save Ganga : Resetor Ganga Pride. |
सभी को माँ गंगा की ममता मिले इसलिए स्वयं की आहुति की ओर बढ़ रहे स्वामी ज्ञान स्वरुप सानंद जी के प्रति यह निष्ठुरता असहनीय हो रही है| दिन पर दिन बीत रहे है पर अब तक संवेदन शून्यता ! सन्त की तपस्या पर गहरी ख़ामोशी !
संत ज्ञान स्वरुप "सानंद" जी पूर्व संसारी नाम प्रो. जी. डी. अग्रवाल (हेड ऑफ डिपार्टमेंट सिविल इंजीनियरिंग, कानपुर आई.आई.टी.) ने गंगा जी की रक्षा और समृधि को पुनः स्थापित करने के लिए संकल्प लिया है.
उन्होंने अन्न त्याग दिया है.
आठ फरवरी से वे फल भी त्याग देंगे.
उन्होंने एक निश्चित समय सीमा तक मांगे ना माने जाने पर जल और फिर तन का त्याग करने का निर्णय लिया है.
संत निगमानंद के बलिदान के बावजूद माँ गंगा की स्थिति में कोई परिवर्तन ना आने पर आहत वयोवृद्ध टेक्नोक्रेट संत ने कहा की अभी और बलिदान की जरूरत है, किसी और से नहीं खुद से इसे शुरू कर उन्होंने इस भागीरथ आंदोलन का प्रारम्भ किया है.
आप सभी से अनुरोध है, इस समाचार को अधिकतम लोगों तक पहुंचाएं.
भागीरथी के लिए लामबंद हुए संत |
Previous Story Updated : Thursday, January 19, 2012 12:01 AM |
इलाहाबाद। गंगा सेवा अभियानम के पतित पावनी को अविरल निर्मल एवं सर्वोच्च गौरव दिलाने के संकल्प के साथ दंडी संन्यासी भी जुड़ गए। बुधवार को माघ मेला क्षेत्र के त्रिवेणी मार्ग पर गंगा सेवा तपस्या पर बैठे स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद (प्रो.जीडी अग्रवाल) के वे भी शामिल हुए। उन्होंने गंगा के लिए तन मन धन के साथ समर्पण की बात दोहराई। जय गंगे हर हर गंगे के जयघोष के बीच संतों को संबोधित करते हुए अभियानम के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, संत समाज मां गंगा को अविरल निर्मल कराने को संकल्पित है। निराकार निर्गुण परमात्मा घटघट वासी है। हमें उस पर पूरा विश्वास है। उसकी कृपा से हमारा प्रयास सफल होगा। दंडी संन्यासी रवींद्र आश्रम ने कहा कि दंडी समाज पूरी तरह से तपस्या को संकल्पित है। जल पुरुष के नाम से प्रसिद्ध राजेंद्र सिंह ने कहा, अगर अभी चेता नहीं गया तो आने वाले दिनों में सरस्वती नदी की भांति गंगा की सिर्फ मूर्ति ही पूजने को मिलेगी। स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने संतों का आह्वान करते हुए कहा, यह सिलसिला तभी थमेगा जब मां गंगा को राष्ट्र नदी का दर्जा हकीकत में मिले। स्वामी सानंद ने कहा उनकी तपस्या व्यर्थ नहीं जाएगी। For Save Ganga Cause Swami Gyan Swarup Sanand Maharaj is continuing his sit on hunger at Prayag (Allahabad) for last 20 days. Swami Abimukteswaranandaji of Jyotirmath, Badarikashram, Himalaya has sent his message to all the authorities to take necessary steps to keep Clean Ganga, to admire Holy Ganga and to protect Ganga Environment so that the RISHI-KRISHI (Saint Heritage and Agriculture) tradition may be saved at any cost. He also appealed that the authority must take care for the demand of declaring Ganga as a National river and to include Santa Samaj to draw and implement a sustainable Holy Ganga Action Plan to curb all the unholy nexus to endanger Ganga, the mother of Indian Tradition and culture. His Holiness Swami of Joytirmath further warned that if the life of Swmai Gyan Swarup Sanda falls in any danger like Late Swami Nigamananda Ji (another Saint sacrificed himself through 4 month's fasting for Save Ganga Cause), the Government have to face severe agitation. |