Sunday, March 6, 2011

Anti Hindu Indian Churches are now under dilemma over expulsion of CVC PJ Thomas.

थॉमस के हटने से हैरान है चर्च
by Jitendra Pratap Singh

Church people disappointed over quashing of CVC appointment


उच्चतम न्यायालय द्वारा केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (Chief  Vigilance Commissioner) पद पर आसीन किये गये पीजे थॉमस की नियुक्ति को खारिज किये जाने से जहां केन्द्र सरकार को झटका लगा है वहीं दूसरी और कैथोलिक चर्च में उच्चतम न्यायालय के फैसले से निराशा का महौल है। पीजे थॉमस की सतर्कता आयुक्त पद पर नियुक्ति के समय ही भारतीय कैथोलिक चर्च ने इसे एक ...कैथोलिक विश्वासी की इतने बड़े पद पर नियुक्ति को कैथोलिक चर्च के लिए गर्व की बात बताया था।


पीजे थॉमस की नियुक्ति के समय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समीति में लोकसभा में विपक्ष की नेता श्रीमती सुषमा स्वराज द्वारा पीजे थोमस के नाम पर अपत्ति दर्ज करवाने के मामले को भी एक वर्ग ने सम्प्रदायिक रंग देने की पूरी कोशिश की हालांकि विपक्ष की नेता द्वारा पीजे थॉमस की नियुक्ति का विरोध उनके ‘केरल के फूड एंड सिविल सप्लाई सचिव रहते हुए पामोलीन तेल के आयात’ के घपले में आरोपी होने के चलते किया था। सरकार ने लोकसभा में विपक्ष की नेता द्वारा थॉमस की नियुक्ति को लेकर व्यक्त की गई आपत्तियों की दंभपूर्वक उपेक्षा कर दी बल्कि थॉमस की नियुक्ति को कुतर्को के आधार पर उचित ठहराया गया और अपने द्वारा किये गये निर्णय पर कायम रहने को प्रतिष्ठा का विषय बना लिया था।


विपक्षी पार्टी भाजपा द्वारा पीजे थॉमस के शपथ ग्रहण सामरोह का बहिष्कार करने के फैसले पर अंगुलियां उठने लगी और देश के पढ़े-लिखे वर्ग में इसे सम्प्रदायिकता से जोड़कर पेश किया जाने लगा कि पीजे थॉमस ईसाई है और इसलिए हिन्दू भाजपा उनकी केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त पद पर नियुक्ति को पचा नही पा रही। चर्च के एक बड़े वर्ग द्वारा पीजे थॉमस के पक्ष में अंदरखाते अभियान भी चलाया गया। पीजे थामस 1973 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है उनके परिवार के कुछ सदस्य कैथोलिक चर्च में प्रतिष्ठ पदों पर है। हालांकि थॉमस की छवि पामोलीन तेल के आयात घपले को छोड़कर साफ-सुथरी रही है। वो इसके पहले केरल के मुख्य सचिव भी रह चुके है। थॉमस सचिव दूरसंचार विभाग, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, सचिव-संसदीय कार्य मंत्रालय,नईदिल्ली, अपर मुख्य सचिव-उच्चतर शिक्षा, केरल खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड और उप जिलाधीश, फोर्ट कोचीन आदि प्रतिष्ठित पदों पर जिम्मेवारी संभाल चुके है।


पीजे थॉमस के मामले में सरकार लगातार तथ्यों को छुपाने में लगी रही। केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त का पद अति महत्वपूर्ण है और अरोपों में घिरे किसी नौकरशाह को इस पद पर बैठना ही सरकार की मंशा पर स्वाल खड़े कर रहा था। सरकार ने थॉमस को इस पद पर बनाए रखने के लिए यहा तक तर्क दिया कि न्यायपालिका को सरकार के काम में दखल देने का अधिकार नही है।


उच्चतम न्यायालय द्वारा केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त पद से पीजे थॉमस की नियुक्ति को खारिज किये जाने के तुंरत बाद कैथोलिक चर्च ने अपनी अधिकारिक वेबसाइट पर जो पहली प्रतिक्रिया दी कि कैथोलिक सिवल सर्वेट रिजाइन और दूसरी-चर्च के लोग सीवीसी की नियुक्ति रद्द करने पर निराश हैरान करने वाली प्रतिक्रियाएं है। (Church people disappointed over quashing of CVC appointment – www.indiancatholic.in) सतर्कता आयुक्त का पद कोई राजनीतिक पद तो नही है कि इस पर तथाकथित धर्मनिरपेक्षता का एजैंडा लागू किया जाये। चर्च को मालूम होना चाहिए कि यह पद संवैधानिक है और संविधान किसी का धर्म या जाति अथवा सम्प्रदाय नही देखता। कैथोलिक चर्च अब अपने अनुयायियों को यह समझाने की कोशिश कर रहा है कि हिन्दू भाजपा द्वारा पीजे थॉमस के विरुद्ध चलाये गये अभियान के कारण ही उन्हे सीवीसी के पद से जाना पड़ा।


चर्च नेतृत्व पिछले कुछ समय से यह आरोप लगाता आ रहा है कि प्रशासनिक तंत्र और कहीं-कहीं तो न्यायपालिका में भी एक ईसाई विरोधी धारणा शामिल होती जा रही है लेकिन चर्च खुद क्या कर रहा है ? जिस तरह उसने केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त पद को ‘ईसायत’ से जोड़ दिया है ऐसी हिम्मत तो संघ भी नही दिखा सकता। चर्च की यह सोच आने वाले समय में देश के सामाजिक ढांचें के लिये बड़ी घातक होगी अभी भी समय है कि ऐसी सोच से बचा जाना चाहिए क्योंकि देश का प्रशासनिक ढांचा और न्यायपालिका आज भी धर्म, जाति, सांप्रदाय से ऊपर उठकर कार्य कर रहे है। पीजे थॉमस की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय ने तथ्यों और मानकों के आधार पर खारिज की है ना कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा चलाये गये अभियान या उनके ईसाई होने के आधार पर। पीजे थोमस ने भले ही सतर्कता आयुक्त के पद से इस्तीफा दे दिया हो पर यह मामला अभी समाप्त नही हुआ है इसकी गूंज कम से कम केरल के राजनीतिक गलियारों में इन चुनावों के दौरान साफ सुनाई देगी।

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